इसी वेब-पत्रिका में प्रकाशित अनीता गोयल की रचनाएँ काफी पसंद की गईं हैं. हमारे लिए उन्होंने कहानियां और कवितायेँ दोनों ही लिखी हैं. जैसा कि आप उनकी रचनाओं में पायेंगे, वह मानवीय रिश्तों की तो गहन पड़ताल करती ही हैं, साथ ही वह अपने सामाजिक सरोकारों को भी नहीं भूलतीं.आज की इस कविता को आप स्त्री-विमर्श की श्रेणी में तो रखेंगे ही, साथ ही देखेंगे कि यहाँ वह मिथकीय प्रतीकों का सहारा लेकर पुरुष का आह्वान करती हैं कि वह अपनी ज़िम्मेवारियों को तत्परता पूर्वक निभाए.












