आज अर्थात ३ अक्तूबर को प्रधानमंत्री का मासिक कार्यक्रम'मन की बात' की अपनी ग्याहरवीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर जब हमारे लेखक मित्र संजीव शर्मा ने यह लेख भेजा तो हमने उनसे चर्चा की और बताया कि लेख के कुछ बिन्दुओं से हमारी असहमति है। मसलन हम लेख की गई इस प्रस्थापना को नहीं मानते कि यह कार्यक्रम "समाज में बदलाव का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है" या फिर यह कि यह कार्यक्रम दोतरफा संवाद के चलते करोड़ों लोगों के मन की बात बन गया है।












