डॉ मधु कपूर के पिछले लेख में आपने जिस तरह की दुविधाओं का सामना किया था, वो इस लेख में भी जारी हैं। पिछले लेख का प्रश्न कि मुझे अच्छा क्यों बनना है, इस बार भी कुछ दूर तक तो हमारे साथ चल रहा है और इस बार इस प्रश्न का उत्तर अस्तित्ववादी डेनिश दार्शनिक Søren Kierkegaard के माध्यम से खोजा जाएगा।