मन की बात - मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल
आज अर्थात ३ अक्तूबर को प्रधानमंत्री का मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' की अपनी ग्याहरवीं वर्षगांठ मना रहा है। इस अवसर पर जब हमारे लेखक मित्र संजीव शर्मा ने यह लेख भेजा तो हमने कुछ प्रस्थापनाओं पर अपनी शंकाएं जताई जैसे कि यह कार्यक्रम "समाज में बदलाव का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है" या फिर यह कि यह कार्यक्रम दोतरफा संवाद के चलते करोड़ों लोगों के मन की बात बन गया है। बहरहाल, उन्होंने सही याद दिलाया कि किसी राजनेता द्वारा मीडिया के सकारात्मक प्रयोग की दृष्टि से यह अपने आप में अनूठा उदाहरण है।
3 अक्टूबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 11 साल पूरे होने पर विशेष लेख
मन की बात - मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल
संजीव शर्मा
हर रविवार को सुबह 11 बजे आकाशवाणी पर गूंजने वाली आवाज ‘मेरे प्यारे देशवासियों’ अब न केवल मासिक मंत्र बन गई है बल्कि जन संवाद की पहचान भी है। इसे हम सभी 'मन की बात' कार्यक्रम के नाम से जानते हैं जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो के माध्यम से देशवासियों के साथ अराजनीतिक और प्रेरक संवाद करते हैं। मूलत: आकाशवाणी से प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम को दूरदर्शन, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और अन्य बहुत सारे चैनल भी प्रसारित करते हैं. 3 अक्टूबर को इस कार्यक्रम की 11वीं वर्षगांठ है। दरअसल श्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के करीब 5 महीने बाद विजयादशमी के दिन 3 अक्टूबर 2014 को अपने इस सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ की शुरुआत की थी। आज यह कार्यक्रम महीने के आखिरी रविवार की पहचान बन गया है।
इस कार्यक्रम को रेडियो माध्यम को नया जन्म देने की दिशा में मील का पत्थर माना जाता है। खास तौर पर जब दुनिया संचार के नए युग के विभिन्न प्लेटफॉर्म के पीछे भाग रही हो तब किसी राष्ट्र प्रमुख द्वारा पारंपरिक और केवल आवाज़ पर केंद्रित माध्यम अर्थात पुराने ज़माने के रेडियो पर विश्वास जताना वाकई एक अचरज भरा प्रयास था। लेकिन अब मन की बात कार्यक्रम के सवा सौ एपिसोड पूरे हो जाने के बाद हम कह सकते हैं कि श्री मोदी ने रेडियो का चयन कर जमीनी स्तर तक संवाद कायम करने की जो शुरुआत की थी वह आज सफलता का नया इतिहास रच रही है।
मन की बात कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री ने आम जनता के साथ सहज तरीके से सरल भाषा में संवाद कायम किया है। आसान शब्दों में कहें तो अब यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री और आम नागरिकों के बीच सीधे संवाद का एक मजबूत सेतु बन चुका है। मन की बात कार्यक्रम ने 30 अप्रैल 2023 को 100 एपिसोड का सफर पूरा कर लिया था और अब यह सवा सौ एपिसोड का आंकड़ा पार कर चुका है। बीते रविवार को मन की बात के 126 वे अंक का प्रसारण हुआ। हालांकि, देश में आम चुनाव के मद्देनजर चुनावी आचार संहिता के कारण 2019 में मार्च, अप्रैल और मई माह में यह कार्यक्रम प्रसारित नहीं हुआ था।
मन की बात कार्यक्रम से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य यह है कि इसके पहले एपिसोड का प्रसारण शुक्रवार के दिन हुआ था तब से लेकर मार्च 2015 तक इसका प्रसारण हर महीने शुक्रवार को ही होता था लेकिन अप्रैल 2015 से इसके प्रसारण का दिन बदल दिया गया और फिर यह हर महीने के आखिरी रविवार को प्रसारित होने लगा। एक अन्य मजेदार बात यह है कि पहला एपिसोड करीब 14 मिनट का था जबकि नवंबर 2014 में प्रसारित दूसरा एपिसोड 19 मिनट का और तीसरा एपिसोड 26 मिनट अवधि का था। हालांकि चौथे एपिसोड से इसकी अवधि 30 मिनट तय कर दी गई और तब से अब तक यह प्रतिमाह 30 मिनट की अवधि में ही प्रसारित होता है। मूलतः हिंदी में रिकॉर्ड होकर यह कार्यक्रम अपने शुरूआती महीनों में ही अन्य भाषाओँ में भी अनुवाद किया जाने लगा और अब यह आकाशवाणी के विभिन्न स्टेशनों से 22 भारतीय भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित होता है। इस प्रकार कार्यक्रम की पहुँच काफी व्यापक है।
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक करीब 1000 प्रतिष्ठित व्यक्तियों, प्रेरित करने वाली शख्सियतों और संगठनों का उल्लेख कर चुके हैं। समाज के विभिन्न वर्गों के समुचित प्रतिनिधित्व के कारण मन की बात कार्यक्रम अब सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात नहीं रह गया है बल्कि यह करोड़ों भारतीय लोगों के मन की बात बन चुका है।
'मन की बात' के सौवें एपिसोड के पहले भारतीय प्रबंध संस्थान, रोहतक (IIM Rohtak) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक मन की बात के बारे में लगभग 96 प्रतिशत लोग जानते हैं और इस कार्यक्रम को 100 करोड़ लोगों ने के बार तो सुना है। इसी सर्वे के मुताबिक 23 करोड़ लोग नियमित रूप से यह कार्यक्रम देखते/सुनते हैं, जबकि अन्य 41 करोड़ लोग कभी कभी इस कार्यक्रम से जुड़ते हैं। इस कार्यक्रम ने अब तक करीब 35 करोड़ रुपए का राजस्व भी अर्जित किया है।
मन की बात परस्पर संवाद का मंच इसलिए भी बन गया है क्योंकि आम लोग इस कार्यक्रम के संबंध में न केवल प्रधानमंत्री को पत्र लिखते हैं बल्कि अपने रिकॉर्ड किए गए संदेश भी भेजते हैं। इसलिए अब यह एकतरफा संवाद नहीं रह गया है बल्कि यह दो-तरफा संवाद सकारात्मक पहलुओं को सामने लाने और समाज में बदलाव का एक महत्वपूर्ण जरिया बन गया है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमें अरुणाचल प्रदेश से लेकर नागालैंड तक और पंजाब से लेकर लक्षद्वीप तक से जुड़े मुद्दों को उठाया जाता है और जनसहयोग से उनके समाधान पर भी बात होती है। उदहारण के लिए प्रधानमंत्री ने जुलाई 2022 में घरेलू खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने की अपील की थी और कभी आयात पर निर्भर मृतप्राय भारतीय खिलौना उद्योग अब लगभग 3000 करोड रुपए के निर्यात का आंकड़ा हासिल कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मन की बात कार्यक्रम के लोकप्रिय होने की वजह इसका पारिवारिक शैली में संवाद है और यह बचपन में दादी नानी से सुनी गई कहानियों की याद दिलाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरल, सहज और व्यक्तिगत संवाद शैली लोगों को जोड़ती है। वह आम लोगों की भाषा में बात करते हैं, जिससे श्रोता अपनेपन का अनुभव करते हैं। इतना ही नहीं,पत्रों या MyGov प्लेटफॉर्म के माध्यम से आम लोगों की कहानियों और सुझावों को शामिल करना इसे जन-आधारित बनाता है। यह कार्यक्रम हमें अपने त्योहार, संस्कृति, परंपराओं, समुदाय और परिवेश से जोड़ने में भी मदद करता है।
मन की बात एआई और मशीन लर्निंग के दौर में पारंपरिक संचार माध्यम के इस्तेमाल का बेहतरीन उदाहरण है जो चुपचाप सामाजिक बदलाव का जरिया भी बन गया है। सेल्फी विद डॉटर, देश के गुमनाम नायकों का गौरवपूर्ण स्मरण, पर्यावरण संरक्षण, वोकल फॉर लोकल,एक पेड़ मां के नाम, कुपोषण से मुक्ति और जल शक्ति अभियान जैसे कई उदाहरण है जिन्हें इस कार्यक्रम के जरिए न केवल राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि मिली है। कुल मिलाकर यह कार्यक्रम प्रेरणादायक और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है और लोगों को अच्छा करने के लिए प्रेरित एवं उत्साहित करता है। मीडिया के सकारात्मक उपयोग का यह एक ऐसा उदाहरण है जिसे जनसंचार विषय के अध्येता हमेशा उद्धृत किया करेंगे।
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संजीव शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता और सक्रिय लेखन से जुड़े हैं.