साहित्य

हादसा जब कोई गुज़रता है मेरे भीतर ही कोई मरता है !

पहलगाम की ख़ौफ़नाक वारदात से मन बेहद दुखी है। उस पर तात्कालिक प्रतिक्रिया स्वरूप एक ग़ज़ल प्रस्तुत है। 

गुलाब-जामुन : ब्रैन्डा से वृंदा और फिर ब्रैन्डा बनने का वृत्तांत

अनीता गोयल से इस वेब-पत्रिका के पाठक पहले से परिचित हैं। आज प्रस्तुत है उनकी लिखी एक कहानी जो पाठक को कहीं अंदर तक भिगो देती है।

मुस्तकीम की चटनी का मिसिंग फ़्लेवर

आमों का मौसम आ चला है। कुछ ही दिन में हमें अपने चारों ओर आम नज़र आने वाले हैं। साथ-साथ ही आया है या बल्कि यों कहें कि आमों से एक कदम आगे चल रहे कच्चे आमों का मौसम! कच्चे आम जिन्हें बिहार-उत्तर प्रदेश में टिकोरा कहा जाता है। अपने अनूठे अंदाज़ में बिहार के पूर्वी उत्तरप्रदेश से जुड़े अंचल की बहुत सी कहानियाँ सुना चुके सत्येन्द्र प्रकाश जो इस वेब-पत्रिका के अति लोकप्रिय लेखक के रूप में स्वयं को स्थापित कर चुके हैं,  इस बार लेकर आए हैं, टिकोरों से बनाई गई चटनी की कहानी। 

A Tale of My Grandfather's Farm

In this evocative personal essay, former civil servant and writer Onkar Kedia takes us back to the Assam of his childhood—specifically to Barpeta Road and Kaithalkuchi. Through tender memories of his grandfather, a beloved farm, and a simple gate that once connected two families, the piece captures a world where affection was effortless and deeply rooted. "A Tale of My Grandfather's Farm" is a gentle meditation on the past memories which we carry with us even after decades.

भूरी हमारी जिंदगी से यूँ गई

नई पीढ़ी की तो क्या कहें, बहुत से नव-वृद्धों (जिनकी आयु 60-65 के आसपास होती है) को भी नहीं मालूम होता कि गाँव की ज़िंदगी कैसी होती है या कैसी होती थी। सत्येन्द्र प्रकाश की कहानियाँ हम में से बहुत से लोगों को एक तरह से  शिक्षित कर रही हैं और हमें रु-बू-रु करवा रही हैं उस ग्रामीण परिवेश से जिसके बारे में हमने कुछ विशेष जाना-समझा नहीं है। तिस पर वह हमें इन कहानियों के ज़रिए बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में ले जाते हैं जहां प्रगति की रफ़्तार बहुत धीमी रही है। उनकी पिछली कहानी लालटेन ने बहुत संवेदनशील ढंग से बिहार के गाँवों में रोशनी आने की गाथा कही थी। आज प्रस्तुत है उनकी नई कहानी जिसके ज़रिए आप बिहार में साठ  के दशक में पड़े सूखे को तो जान ही लेंगे, साथ ही ग्रामीण परिवारों का अपने पशुओं के साथ क्या रिश्ता होता है, यह भी जान जाएंगे। 

 

नए प्रयोग करती मोहन राणा की कविता - अनुवादक

अगर आप मोहन राणा की इस कविता की आरम्भिक 'दुरूहता' को आत्मसात कर आगे बढ़ते हैं तो आपको जल्द ही ग़ज़ब के प्रयोग करती ऐसी कविता मिलेगी जिसमें प्रयुक्त बिम्ब और प्रतीक आपको चकित कर देंगे। ना केवल यह कि यह बिम्ब और प्रतीक बिल्कुल नई तरह के हैं बल्कि इनके माध्यम से कविता को जो गहराई और व्यापकता मिल रही है, वह भी अनूठी है। 

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