सत्येन्द्र प्रकाश की कहानियों और आलेखों में मानव मन की अतल गहराइयों को छू लेने की उनकी क्षमता से हम भली-भांति परिचित हैं। इस बार की उनकी कहानी गाँव की देहरी पर बने पीपल और बट (बरगद) के संयुक्त हो चुके वृक्ष की मार्मिक व्यथा सुनाती है जिसमें आधुनिकता से जन्मे विरोधाभासों की झलक मिलती है। लीजिए प्रस्तुत है इस वृक्ष (या वृक्षों) की व्यथा कथा!