रिश्तों की वारंटी : ओंकार केडिया की नई कविताएँ
ओंकार केडिया इस वेब पत्रिका पर बीच-बीच में इस अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं. इस बार रिश्तों की सघनता को टटोलती उनकी यह सुन्दर कवितायेँ पढ़िए.
रिश्तों की वारंटी : ओंकार केडिया की नई कविताएँ
1.
नया रिश्ता ऑर्डर करो,
तो ध्यान से करना,
अच्छी तरह ठोक-बजाकर
सोच-समझकर करना।
मार्केटिंग से सावधान रहना,
पैकिंग पर मत जाना,
थोड़ा भी शक़ हो,
तो मत लेना डिलिवरी।
यह कोई पिज़्ज़ा नहीं है
कि खा लिया और हो गया,
कोई ए. सी. नहीं है
कि चला, तो चला,
नहीं चला, तो नहीं चला।
तुम्हें पता भी नहीं चलेगा,
कि कब धीरे-धीरे
तुम्हारी ज़िंदगी का
हिस्सा बन जाएगा रिश्ता।
बहुत तकलीफ़ होगी,
जब आएंगी इसमें दरारें,
साबुत नहीं बचोगे तुम भी,
अगर यह टूटा कभी।
ऐसे ही होते हैं रिश्ते,
पकड़ लेते हैं कसकर,
नहीं मिलता इनसे
आसानी से छुटकारा,
नहीं होती रिश्तों की
कोई लाइफ़लॉन्ग वारंटी।
**
2.
बेसब्री से इंतज़ार करते हैं
हम नए-नए रिश्तों का,
कितने ख़ुश होते हैं,
जब वे पहुँचते हैं हम तक।
पैकिंग खोलते हैं,
पहली बार देखते हैं,
तो लुभाते हैं रिश्ते,
चमचमाते रिश्ते,
लगता है,
अधूरी थी ज़िंदगी इनके बिना।
यक़ीन रहता है
कि पुराने रिश्तों से
बेहतर हैं नए रिश्ते,
ऐसे ही रहेंगे हमेशा।
पर कई बार
जल्दी ख़राब हो जाते हैं
नए रिश्तों के पुर्ज़े,
क़ीमत चुकानी पड़ती है
उन्हें सुधारने के लिए।
चाहे जितनी कोशिश कर लो,
कभी-कभी ठीक ही नहीं होते
बिगड़े हुए रिश्ते,
बाज़ार में भी नहीं मिलते
उनके नए पुर्ज़े,
तब बेमन से ही सही,
छोड़ने पड़ते हैं रिश्ते।
काश कि रिश्तों की भी
कोई वारंटी होती,
ठीक कर जाता कोई
उनके बिगड़े हुए पुर्ज़े
बदल देता उन्हें,
या उनकी जगह मुफ़्त में दे जाता
अच्छे नए रिश्ते।
**
3.
बड़े नाज़ुक होते हैं रिश्ते,
कभी ढूँढ़ो, तो ऐसे रिश्ते ढूँढ़ना,
जो टिकाऊ हों,
जिनकी रेटिंग अच्छी हो,
जिनकी तुम्हें ज़रूरत हो।
हो सके, तो ऐसे रिश्ते ढूँढ़ना,
जो वारंटी के साथ मिलते हों,
थोड़ी क़ीमत अदा करनी पड़े,
तो भी लंबी वारंटी वाले ढूँढ़ना,
कभी मत छोड़ना अच्छे रिश्ते
अगर तुम्हें मिल जाएँ
लाइफ़-लॉन्ग वारंटी के साथ।
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ओंकार केडिया पूर्व सिविल सेवा अधिकारी हैं। भारत सरकार में उच्च पदों पर पदासीन रहने के बाद वह हाल तक असम रियल एस्टेट एपिलेट ट्राइब्यूनल के सदस्य रहे हैं और आजकल गुवाहाटी में रह रहे हैं। इनका कविता संग्रह इंद्रधनुष काफी चर्चित हुआ। कोरोना पर उनकी कविताओं के तीन संग्रह, 'पत्तों पर अटकी बूंद', 'मौन की आवाज़' और 'जमी हुई ख़ामोशी' तथा अंग्रेज़ी कविताओं के दो संग्रह 'Rainbow' और 'Daddy' प्रकाशित हो चुके हैं। हाल ही में उनकी प्रेम कविताओं का संग्रह 'ओस की बूंद' भी प्रकाशित हुआ है। पिछले दिनों वृद्धावस्था पर इनकी 51 कविताओं का संग्रह 'बूढ़ा पेड़' हाल ही में प्रकाशित हुआ है।