शब्द नहीं एहसासों की गाथा है पुस्तक ‘चार देश चालीस कहानियां’

आरिफ मिर्ज़ा | किताबें | Apr 05, 2025 | 156

पाठकों को याद होगा कि संजीव शर्मा इस वेब-पत्रिका में कुछ ललित-निबंधों के साथ अपना योगदान दे चुके हैं। कुछ समय पहले उनकी पुस्तक 'चार देश चालीस कहानियाँ' आई थी तो हमने उनसे अनुरोध किया था कि वह हमें पुस्तक की समीक्षा उपलब्ध करवा सकें तो हमें प्रकाशित करने में प्रसन्नता होगी। उन्होंने थोड़ी प्रतीक्षा तो करवाई लेकिन जब आरिफ़ मिर्ज़ा की लिखी यह संक्षिप्त सी समीक्षा मिली तो हमें लगा कि इंतज़ार बेकार नहीं गई। आरिफ़ मिर्ज़ा का लिखने का अंदाज़ एक ताज़गी का एहसास करवा रहा है। खूबसूरत हिंदुस्तानी में लिखी यह समीक्षा ताज़ी हवा के झोंके की तरह है - किताब पढ़ने को तो जी ललचाएगा ही लेकिन साथ ही लगेगा कि आरिफ़ मिर्ज़ा और भी लिखते रहें। 

शब्द नहीं एहसासों की गाथा है पुस्तक ‘चार देश चालीस कहानियां’

आरिफ़ मिर्ज़ा 

'शबनम से लिखूं अश्कों से लिखूं मैं दिल की कहानी कैसे लिखूं,

फूलों पे लिखंू हाथों पे लिखूं, होठों की ज़बानी कैसे लिखूं।'

बहरहाल…मौजूं कोई भी हो संजीव शर्मा के लिए उसे लफ्ज़़ों और अहसास में पिरोना मुश्किल नहीं। संजीव मिजाज़ से जज़्बाती और हस्सास (संवेदनशील) हैं। लिखना उनकी आदत में शामिल है और उनकी ज़ेहनी गिज़़ा है। गुजिश्ता 30 बरसों से सहाफत (पत्रकारिता) से बावस्ता संजीव भारतीय सूचना सेवा के मुलाजि़म हैं और फिलवक्त आकाशवाणी भोपाल में न्यूज़ एडिटर हैं। आकाशवाणी में रहते हुए संजीव को तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ (2017) अफ्रीकी देश यूगांडा और रवांडा का कवरेज का मौक़ा मिला। 

 

साल 2019 में आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जापान की आधिकारिक यात्रा  पर भी गए थे। इन तीन मुल्कों के अलावा संजीव असम आकाशवाणी में भी पोस्टेड रहे हैं। गोया के संजीव के नज़रिए से देखें तो हर मुल्क और हर शहर एक कहानी है। ‘चार देश चालीस कहानियां’ में हम युगांडा और रवांडा की आम छवि से हट के उन रिवायतों से भी वाकिफ होते चलते हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। दरअसल इस किताब में चीजों, कल्चर और परंपराओं को ले के संजीव का गज़़ब का 'ऑब्जरवेशन' सामने आता है।

मिसाल के तौर पर युगांडा की राजधानी किगाली के बाशिंदों के हफ्ते में एक दिन के सफाई अभियान को संजीव ने बहुत नायाब अंदाज़ में पेश किया है। वहीं रवांडा में हुए दुनिया के ख़ौफऩाक कत्लेआम की यादों को इस तरह संजो के रखा गया है कि वो मंजऱ हमे अहिंसा का सबक देता है। संजीव ने इसे अपने ही लफ्ज़़ों में पूरे जज़्बातों के संग पिरोया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साहब के साथ संजीव ने जी-20 देशों के जापान के ओसाका शहर में हुए सम्मेलन को कवर किया था। जापान पूरी दुनिया मे अपनी टेक्नोलॉजी और रिवायतों के लिए जाना जाता है। अपनी किताब में संजीव ने जापान की खूबियों के किस्से बेहतरीन अंदाज़ में पेश किये हैं। 

आकाशवाणी में नोकरी के दरम्यान इनकी पोस्टिंग असम में भी रही। लिहाज़ा 'चार देश चालीस कहानियां' में आप चेरापूंजी के घने बादलों के हमराह मिज़ोरम और आइजोल की हसीन वादियों में खुद को

 भटकता हुआ महसूस करेंगे। वहां के बाशिंदों के ज़ब्त-ओ-नज़्म (अनुशासन) की कहानियां आपको बांध लेंगी। असम की बराक घाटी के गरीब रिक्शा ड्राइवर द्वारा खोले गए स्कूल के किस्से को लेखक ने ऐसे  दिलचस्प अंदाज में पेश किया है कि आप एक सांस में पढ़ जाएंगे। किताब में प्रयागराज के मलाईदार दूध और समोसा-कचोरी के दिलचस्प किस्से किताब के मूल किरदार की रफ्तार को मेंटेन करते से लगते हैं। 

इस किताब में 40 कहानियों के अलावा आठ बोनस कहानियां भी हैं जिन्हें पढ़ कर आप संजीव की अनूठी अफ़साना-निगारी और ज़बान की खूबसूरत बुनावट के दीदार कर सकते 

हैं। 166 पेज की इस किताब की कीमत महज 200 रुपये है। ये अमेजन, गूगल प्ले, किंडल और कोबो पे मुहैया है।

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करीब 48 वर्षों से लेखन, पत्रकारिता में सक्रिय। धर्मयुग, सारिका, नवनीत, नईदुनिया में लिखा। दैनिक, भास्कर, दैनिक नईदुनिया, दैनिक जागरण, पीपुल्स समाचार, राज टीवी, प्रदेश टुडे और अग्निबाण में काम किया। अपने स्तंभ 'मीडिया मिर्ची' और 'सूरमा के बतोले' से अनूठी पहचान मिली। 'अष्टछाप के अर्वाचीन कवि' संयुक्त कविता संग्रह प्रकाशित। सम्प्रति: स्वतंत्र पत्रकार



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