बागों में फूलों के खिलने का मौसम आ गया..!!
वसंत ने साहित्य की हर विधा को समृद्ध किया है। कवियों ने तो पूरे-पूरे ग्रंथ ही रच डालें हैं वसंत पर आधारित। ऋतुराज वसंत तो खैर अनंतकाल से प्रयोग किया जाने वाला फ्रेज़ है ही लेकिन सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने तो इसे महंत वसंत कहा। बॉलीवुड के सैंकड़ों गीत वसंत के रंगों पर आधारित हैं। संजीव शर्मा के इस लेख में आप रंगों की यह छटा देखिए!
बागों में फूलों के खिलने का मौसम आ गया..!!
संजीव शर्मा
फिल्म ‘आराधना’ में गीतकार आनंद बक्शी निश्चित तौर फरवरी मार्च के इन्हीं दिनों को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए होंगे और तभी उनकी कलम से निकला होगा..’बागों में बहार है, कलियों पे निखार है..।’ आनंद बक्शी क्या, कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है क्योंकि मौसम ही ऐसा है और तभी तो हर कोई कह रहा है बागों में फूलों के खिलने का मौसम आ गया। इसे फागुन कहें या फिर बसंत या फिर रूमानियत के दिन…प्रकृति खुद उत्साहित करती है और फिर हम हम आप क्या दिग्गज कवि भी प्रकृति के रंग में रंग जाते हैं। तभी तो सर्वेश्वर दयाल सक्सेना को लिखना पड़ा:
“पेड़ों के साथ-साथ
हिलाता है सिर
यह मौसम अब नहीं
आएगा फिर।”
फाल्गुन माह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उत्सवों का संगम है, जो इसे विशेष रूप से खुबसूरत बनाता है। फाल्गुन माह के साथ ही बागों में फूलों के खिलने का मौसम आ जाता है। जैसे ही सर्दियों की सख्त ठंड पीछे छूटती है, बसंत ऋतु अपनी रंगीन छांव लेकर हमारे आसपास फैलने लगती है। यह समय होता है जब धरती पूरी तरह से जीवित हो उठती है और प्रकृति में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। बागों में रंग-बिरंगे फूलों की खिलखिलाहट और उनकी महक वातावरण को रंगों के रोमांस से भर देती है। ऐसे में रामधारी सिंह दिनकर की कलम भी मचल उठती है और वे लिखते हैं:
“प्रात जगाता शिशु वसंत को नव गुलाब दे-दे ताली;
तितली बनी देव की कविता वन-वन उड़ती मतवाली।
सुंदरता को जगी देखकर जी करता मैं भी कुछ गाऊँ;
मैं भी आज प्रकृति-पूजन में निज कविता के दीप जलाऊँ।”
फूलों का खिलना न केवल प्रकृति का सौंदर्य भर नहीं है, बल्कि यह जीवन में खुशी, उल्लास और शांति का प्रतीक भी है। गेंदा, गुलाब, चमेली, मोगरा, सूर्यमुखी,गुलमोहर और पलाश जैसे फूल बाग बगीचों को अपनी महक और रंग से सजा देते हैं। इन फूलों का खिलना नयी उम्मीदों को जन्म और मनभावन अवसरों का संदेश देता है। हर फूल में एक अलग खूबसूरती और खुशबू होती है, जो हमें हर पल प्राकृतिक सौंदर्य के करीब ले आती है।
जब बागों में फूल खिलते हैं, तो वातावरण में एक अलग ही सुकून और शीतलता महसूस होती है। फूलों की खुशबू से वातावरण महकता है और हमारे मन को एक अद्भुत सुख मिलता है। फूलों के बीच समय बिताना न केवल शारीरिक रूप से ताजगी देता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है। रंग-बिरंगे फूलों के खिलने से एक सकारात्मक ऊर्जा का अहसास होता है, जो हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। मौसम की अठखेलियों से रघुवीर सहाय की कलम भी अल्हड़ हो जाती है। वे लिखते हैं:
“वही आदर्श मौसम
और मन में कुछ टूटता-सा
अनुभव से जानता हूँ कि
यह वसंत है।”
हमारे देश में फाल्गुन माह का एक और विशेष महत्व है क्योंकि इसी दौरान होली का त्योहार मनाया जाता है। होली, जो रंगों और फूलों से जुड़ा हुआ है, बागों में खिलने वाले फूलों की ही तरह हमारे जीवन में रंग भरने का काम करती है। लोग इस दिन एक-दूसरे पर रंग और फूल डालकर रिश्तों में मिठास और सौहार्द्र का संचार करते हैं। फूलों का खिलना और होली का त्यौहार मिलकर जीवन में रंगों और खुशियों का संगम लाते हैं।
फूलों का खिलना सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में नयी उम्मीदों, खुशियों और सौंदर्य का प्रतीक है। बागों में फूलों की बहार हमें यह सिखाती है कि जीवन के हर मौसम में कुछ खास होता है, और हमें हर पल को जीने की कला को समझना चाहिए। कवि राकेश रंजन प्रकृति की इस लीला को बखूबी आत्मसात कर लिखते हैं:
“टूटता है मौन
फूलों का
हवाओं का
सुरों का
टूटता है मौन
टूटती है नींद
वृक्षों की
समय के
नए बीजों की
सभी की
टूटती है नींद।”
यह समय प्रेम, उल्लास और खुशियों का है, जो हमें जीवन के हर पहलू में संतुलन और शांति का अहसास कराता है। फूलों की रंग-बिरंगी चादर में बसा यह मौसम हम सभी के लिए एक अनमोल तोहफा है। प्रकृति से जुड़ने के इस अद्भुत समय में हम जीवन के तनावों और समस्याओं से मुक्त हो सकते हैं। फूलों के साथ समय बिताने से न केवल मन खुश रहता है, बल्कि हमें धरती के साथ अपने रिश्ते को भी समझने का मौका मिलता है इसलिए इस मौसम में प्रकृति की सुंदरता का आनंद लें और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें।
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संजीव शर्मा तीन दशक से ज्यादा समय से मीडिया में सक्रिय हैं और फिलहाल आकाशवाणी भोपाल में सहायक निदेशक समाचार का दायित्व संभाल रहे हैं। आपको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ जापान और अफ्रीकी देशों की यात्रा पर जाने का अवसर मिला है और इन यात्राओं पर केन्द्रित कर पुस्तक‘चार देश चालीस कहानियां’ काफी लोकप्रिय हुई है. इन्होने हाल ही में अयोध्या पर केन्द्रित ‘अयोध्या 22 जनवरी’ नामक किताब भी लिखी है. संजीव शर्मा का ‘जुगाली’ jugaali.blogspot,com के नाम से एक ब्लॉग भी हैं ।