इस वेब पत्रिका पर नियमित आने वाले पाठक मनोज पांडे के नाम से परिचित होंगे जिन्होंने UNDER THE LENS केटेगरी के तहत पचास से भी ज़्यादा लेख लिख कर अलग-अलग विषयों की गहन पड़ताल की है। अंग्रेज़ी में लिखे गए इन लेखों के साथ-साथ अभी हाल ही में उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल @kitnasachkitnajhoothहिंदी में शुरू किया है।इस चैनल परउन्होंनेजनोपयोगी विषयों पर वीडियो बनानेकी शुरुआत की हैजिनमें वह सही और गलत की पड़ताल करते हैं।इसी चैनल पर आने वाले वीडियोज़ में दी गई जानकारी को हम यहाँ हेल्थ वीडियोज़ नामक कैटेगरी में इकट्ठा कर रहे हैं। इस बार हम एंटिबयोटिक्स के गलत इस्तेमाल पर जानकारी दे रहे हैं।
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल में डॉक्टर्स और दवा बेचने वालों के नाम सलाहें, या कहिए हिदायतें, जारी की हैं जिनमें कहा गया है कि डॉक्टर जब मरीज़ को एंटीबायोटिक दवा प्रेस्क्राइब करें तो उसका कारण भी लिखें. फार्मेसीज़ से कहा गया है कि बिना प्रेस्क्रिप्शन के एंटीबायोटिक दवाएं न बेचें.
इसके पीछे बहुत बड़ा कारण है. वह ये कि अस्पताल और डॉक्टर मरीज़ों को एंटीबायोटिक, बिना लैब परीक्षण के या परीक्षण की रिपोर्ट आने से पहले एंटीबीओटिक दवाएं देते पाए गए हैं. लोग भी एंटीबायोटिक दवाएं लेने में बहुत लापरवाही बरतते हैं. इनकी वजह से एक ओर मरीज़ को बीमारी ठीक नहीं होने, इम्युनिटी घाट जाने और कई परेशानियां पैदा होने का खतरा होता है और दूसरी ओर एंटीबायोटिक्स के गलत सेवन से जीवाणुओं के खतरनाक स्ट्रेन पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है. पहले की कुछ एंटीबायोटिक दवाओं ने तो अब काम करना बंद कर दिया है.
तो क्या करें? क्या एंटीबायोटिक दवाएं लेना बंद कर दें?
इस विषय पर विस्तार में चर्चा, और साथ में WHO व अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल के बारे में क्या सलाह देते हैं, यह सब है नीचे दिए गए विडियो में.अगर विडियो नहीं दिख रहा या उसे क्लिक करके विडियो नहीं खुल रहा तो इस लिंक पर जाएं:
*मनोज पाण्डे पूर्व सिविल सेवा अधिकारी हैं। उनका ब्लॉग आप https://manoj-pandey.blogspot.com पर देख सकते हैं।इस वेब पत्रिका में उनके लेख UNDER THE LENS केटेगरी के तहत देख सकते हैं.
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