इधर करीब तीन-चार महीने पहले जब आर्थिक मंदी या ‘स्लो-डाउन’ की चर्चा ज़ोरों से चलने लगी और 2019 के लोकसभा चुनावों में मिली ज़बरदस्त जीत के तुरंत बाद ही अर्थशास्त्रियों ने थोड़ा सा खुलकर चेतावनियाँ जारी करनी शुरू कीं तो मुझ जैसे आम-आदमी को भी ये ज़रूरत महसूस हुई कि देश और समाज की दिशा और दशा ठीक से समझने के लिए आर्थिक विषयों के बारे में आधारभूत समझ बनाना अच्छा रहेगा।







