जाने-माने पर्यावरणविद और गांधी-विचार को अपने जीवन में व्यावहारिक रूप से उतारने वाले अनुपम मिश्र (1948-2016) का पूरा जीवन जल-संरक्षण एवं पर्यावरण-संरक्षण को समर्पित था। गांधी शांति प्रतिष्ठान में उन्होंने पर्यावरण कक्ष की स्थापना वर्ष 1977 में थी और उस समय पर्यावरण के बारे में कोई खास चर्चा नहीं होती थी। उनकी लिखी दो पुस्तकें 'आज भी खरे हैं तालाब' और 'राजस्थान की रजत बूंदे' जल-संरक्षण के क्षेत्र में आज भी सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में गिनी जाती हैं।






