आखिर क्यों इतना पिछड़ गया है चित्रकूट...?

विद्या भूषण अरोरा | समाज एवं राजनीति | Sep 13, 2024 | 161

“चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर, तुलसीदास चन्दन घिसें, तिलक करे रघुबीर!” यह दोहा चूंकि हम अपने बचपन से सुनते आ रहे थे, इसलिए मन में चित्रकूट के महत्व की कुछ ऐसी छवि थी कि यह तीर्थ-स्थल वाराणसी और प्रयागराज की तरह ना भी सही तो कम से कम ठीक-ठाक स्तर का विकसित नगर होगा। वहाँ जाकर और तीन दिन रहने के बाद और कामदगिरि की परिक्रमा करने के बाद हमारे मन में चित्रकूट का धार्मिक महत्व तो पहले से भी ज़्यादा बढ़ गया किन्तु यह देखकर बहुत निराशा हुई कि वहाँ तीर्थ यात्रियों के लिए सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। हालांकि यह बताना भी आवश्यक है कि चित्रकूट प्राकृतिक सुंदरता में विशिष्ट है और छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा यह तीर्थ सचमुच मनमोहक है। लेकिन यदि तीर्थयात्रियों की दृष्टि से देखें तो यहाँ विकास की बहुत आवश्यकता है।

यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि राम जन्मस्थली अयोध्या के बाद चित्रकूट ही सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ है और यही वह स्थान है जहां राम-सीता-लक्ष्मण ने अपने वनवास के 14 वर्षों में से साढ़े ग्यारह वर्ष व्यतीत किए थे। मन्दाकिनी नदी के तट पर बसे चित्रकूट में राम के जीवन से सम्बद्ध अनेक स्थल हैं जहां तीर्थयात्री जाते हैं और कुछ त्योहारों पर तो श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ हो जाती है। फिर भी सड़कों की बुरी हालत है और स्थानीय परिवहन की प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है। प्राइवेट वाहनों के नियमन के यदि कोई कायदे-कानून होंगे तो वो कागज़ पर ही होंगे क्योंकि हमें तो मंदाकिनी नदी के राम घाट की नावों से लेकर सड़कों पर फुदकते ऑटो तक सब कुछ ‘राम भरोसे’ ही चलता नज़र आया। हाँ, यह है कि सड़कों के मामले में एक शाबाशी तो उत्तर प्रदेश को देनी होगी कि सभी ऑटो वालों ने हमें यह बताया कि मध्यप्रदेश वाले हिस्से की सड़कें बहुत खराब हैं जबकि उत्तर प्रदेश वाले हिस्से की सड़कें काफी बेहतर हैं।

चित्रकूट मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में बंटा हुआ है, यह तो हम सब जानते ही हैं लेकिन इन पंक्तियों के लेखक को वहाँ पहुँच कर ही यह पता चला कि यह विभाजन बहुत हास्यास्पद ढंग से काम कर रहा है। जैसे एक जगह ऐसा लगा कि सड़क की हालत एकदम अचानक ऐसे कैसे बदल गई तो पता चला कि प्रदेश बदल गया है। चित्रकूट के धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण पॉइंट्स भी दोनों प्रदेशों में बंटे हैं। जहां मंदाकिनी के तट पर रामघाट और फिर उससे 18 किलोमीटर दूर गुप्त गोदावरी और सती अनुसूया जैसे स्थल मध्यप्रदेश में पड़ते हैं वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में कामदगिरि पर्वत, भरत कूप (भरत मिलाप स्थल) और हनुमान धारा जैसे स्थल आते हैं। यदि रामघाट को केंद्र मान लें तो इन दोनों प्रदेशों में स्थित ये छ्ह स्थल लगभग 18 किलोमीटर के घेरे में आ जाएंगे। जानकी कुंड, रामशिला और लक्ष्मण पहाड़ी जैसे और भी कुछ स्थल हैं जहां श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती है किन्तु उतनी संख्या में नहीं जितनी पहले वर्णित छ्ह स्थलों में।

इन छ्ह स्थलों में से रामघाट, कामदगिरि, हनुमान धारा और गुप्त गोदावरी – इन चारों स्थानों पर प्रशासनिक हस्तक्षेप की ख़ासी आवश्यकता है। कामदगिरि में लगभग पाँच किलोमीटर का परिक्रमा मार्ग है और पूरे परिक्रमा मार्ग में निरंतर सफाई की आवश्यकता है क्योंकि गायों को हटाना तो कई कारणों से मुश्किल होगा, लेकिन उनके गोबर को ठीक से नहीं हटाया जाए तो नंगे पैर परिक्रमा कर रहे यात्रियों को बहुत परेशानी होती है और फिसलने का भय बना रहता है। बंदरों के कारण भी यहाँ यात्रियों को खूब सजग रहना होता है। यहाँ स्मरण करा दें कि कामदगिरि उत्तर प्रदेश में पड़ता है। गुप्त गोदावरी में चूंकि श्रद्धालुओं को सुरंगों में जाना होता है, वहाँ काफी भीड़ हो जाती है और भीड़ नियंत्रण की संतोषजनक व्यवस्था नहीं हैं। हमारी चित्रकूट यात्रा के दौरान कम यात्रियों की आवक के बावजूद गुप्त गोदावरी में हमने बहुत भीड़ देखी और लगा कि ज़रा सी चूक यहाँ ‘स्टैम्पीड’ का कारण बन सकती है। यह स्थल मध्य प्रदेश में है। हनुमान धारा में जो यात्री रोप-वे की सुविधा लेने की बजाय सीढ़ियों से जाते हैं, उनको सीढ़ियों में ठीक प्रकार की रेलिंग न होने के कारण खासी परेशानी होती है। सीढ़ियाँ भी बहुत ऊंची हैं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए तो बिल्कुल अनुपयुक्त।

हमारा मानना है कि प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह छोटी सी नगरी चित्रकूट दो प्रदेशों के बीच बँटी होने के कारण अन्य तीर्थस्थलों की अपेक्षा बहुत पिछड़ गई है। क्या आप विश्वास करेंगे कि चित्रकूट में कोई बड़ा सा बाज़ार ही नहीं है। चित्रकूट को कुछ गांवों का समूह ही मान सकते हैं आप! हालांकि हम यह नहीं चाहेंगे कि विकास के नाम पर यहाँ की प्राकृतिक संपदा को ज़रा भी नुकसान पहुंचाया जाए किन्तु हमारा विश्वास है कि छोटे-छोटे सरकारी प्रयास भी चित्रकूट को उसका वाजिब स्थान दिला सकते हैं। इसके लिए दोनों राज्य सरकारों को मिलकर योजनाएं बनानी चाहियें और लागू करनी चाहियें।

इस संदर्भ में हमारा सुझाव है कि चित्रकूट के सर्वाभिमुखी विकास के लिए “चित्रकूट विकास प्राधिकरण” जैसी कोई अथॉरिटी बनाई जाए जिसमें दोनों प्रदेशों के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के  अतिरिक्त सिविल सोसाइटी के कुछ लोग भी सदस्य के रूप में हों और इस अथॉरिटी को दोनों राज्य सरकारों के अलावा, केंद्र सरकार भी एक निश्चित धनराशि उपलब्ध कराए ताकि विकास कार्यों में धन की कमी आड़े नहीं आए। चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान जैसे प्रभावशाली संस्थान ने भी कुछ प्रोजेक्ट्स हाथ में लिए हैं और नाना जी देशमुख द्वारा स्थापित ग्रामीण विकास संस्थान भी यहाँ हैं – इन दोनों संस्थाओं से संबंधित लोग भी इस अथॉरिटी में हो सकते है ताकि विकास कार्य को केवल पर्यटन के लिए नहीं बल्कि आस-पास के गांवों से भी जोड़ा जा सके। पब्लिक-प्रायवेट पार्ट्नर्शिप के तहत चित्रकूट के सम्पूर्ण विकास का खाका बनाया जा सकता है और कॉर्पोरेट सेक्टर की कुछ कंपनियों को उनके CSR फंड अथॉरिटी द्वारा निर्धारित किये गए कार्यों में जोड़ने को कहा जा सकता है।

केंद्र के साथ मिलकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को बिना देरी के चित्रकूट के विकास के लिए जल्द से जल्द एक ब्लू प्रिन्ट बनाना चाहिए ताकि राम-सीता-लक्ष्मण की यह भूमि अपने यहाँ आने वाले तीर्थयात्रियों के आध्यात्मिक अनुभवों को में प्राप्त करने में सहायक हो सके।

*******

विद्या भूषण अरोरा

 


We are trying to create a platform where our readers will find a place to have their say on the subjects ranging from socio-political to culture and society. We do have our own views on politics and society but we expect friends from all shades-from moderate left to moderate right-to join the conversation. However, our only expectation would be that our contributors should have an abiding faith in the Constitution and in its basic tenets like freedom of speech, secularism and equality. We hope that this platform will continue to evolve and will help us understand the challenges of our fast changing times better and our role in these times.

About us | Privacy Policy | Legal Disclaimer | Contact us | Advertise with us | Copyright © All Rights Reserved With RaagDelhi. Best viewed in 1366*768 screen resolution. Designed & Developed by Mediabharti Web Solutions