डॉ दीपाली शर्मा ‘deez’ की कविताओं का अपना ही एक अन्दाज़ है, शायद वह अपना एक अलग ही रास्ता ढूँढ रही हैं। इस बार फिर उनकी कविताओं में आप बाल-सुलभ चपलता भी देख सकते हैं और प्रकृति और अपने आसपास के लिए गहरी चिंता भी! शायद वह प्रयोग कर रही हैं और उनके प्रयोगों के लिए यह वेबपत्रिका मंच बन सकी है तो हमें संतोष है।