यह एक सामान्य धारणा है कि शब्द से अर्थ का बोध होता है किंतु सभी शब्दों से सभी अर्थों का बोध नहीं होता अपितु किसी निश्चित शब्द से किसी निश्चित अर्थ का ही बोध होता है. फिर निश्चयता कितनी है, यह प्रश्न बराबर हमें कुरेदता रहता है. ‘दर्द महसूस करना’ और किसी ‘अन्य के दर्द को समझना’ बिलकुल पृथक होकर भी पृथक नहीं होते है. चिकित्सक समझता है दांत के दर्द और पेट के दर्द में क्या फर्क है, महसूस नहीं कर सकता है.