पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं, लेकिन...!
दो दशक से भी कुछ अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय धर्मेंद्र कुमार ने जब हमें डॉ मनमोहन सिंह पर यह लेख भेजा तो हमें इसलिए थोड़ा आश्चर्य हुआ कि उन्हें यह जानकारी थी ही कि हमारे यहाँ तो दिवंगत प्रधानमंत्री पर लेख आ चुका है और ऐसे अवसर पर आमतौर पर एक ही लेख काफी होना चाहिए। फिर हमने लेख पढ़ा तो हमें माजरा समझ आया कि यह लेख कोई आम श्रद्धांजलि नहीं है बल्कि यह तो एक प्रकार से उत्तर है उन ढेर सारी श्रद्धांजालियों का जो पिछले 36 घंटों में सामने आ रही हैं। बीस बरस पहले दैनिक जागरण, फिर अमर उजाला, तदोपरांत धर्मेंद्र ने नवभारत टाइम्स पोर्टल और उसके बाद एनडीटीवी ऑनलाइन में कई वर्ष संपादकीय सेवाएँ दीं। फिलहाल, वह मीडियाभारती.नेट के संपादक हैं। उनकी लीक से हटकर इस श्रद्धांजलि को अवश्य पढ़ें।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं, लेकिन...!
धर्मेंद्र कुमार
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं। जब हम बहुत छोटे थे तो उनके दस्तखत नोट पर देखते थे। घर के किसी बड़े ने बताया था कि जिसके दस्तखत नोट पर होते हैं, वह बहुत ‘बड़ा’ आदमी होता है। उसे ‘गवर्नर’ कहते हैं। हम बहुत खुश होते थे कि कभी हम भी ‘गवर्नर’ ही बनेंगे। फिर बैठकर सभी नोटों पर साइन किया करेंगे। खैर, यह तो हुई बचपन की बात! जब थोड़े बड़े हुए तो पता चला कि मनमोहन सिंह एक बेहतरीन अर्थशास्त्री हैं। बाद में एक बेहतरीन वित्त मंत्री बने। इंटरनेट पर घूम रहे उनके अनगिनत जीवन-वृतांत यही बता रहे हैं कि उनके जैसा आदमी न कभी हुआ है, और न होगा।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं। लेकिन, कांग्रेसी बता रहे हैं कि वह ‘कमाल’ के प्रधानमंत्री भी थे। मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया है कि वह गजब के सांसद थे, हर हाल में वह अपना वोट डालने संसद में आते थे। कुछ टीवी वाले बता रहे हैं कि वह ‘पहले’ सही थे, बाद में ‘बिगड़’ गए। विदेशी दौरों पर उनके साथ बिना मतलब यात्रा करने वाले (और ऐसी यात्राओं में उपलब्ध महंगी दारू का सेवन करने वाले) कुछ पत्रकार बता रहे हैं कि अब उनके जाने के बाद देश को ‘पता’ लगेगा कि वह क्या थे!
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं। लेकिन, जब वह पीएम बने तो हम पत्रकारिता में प्रवेश कर चुके थे। दफ्तरों में हमें बताया जाता था कि अटलजी के वश में बस इतना ही था, जितना वह कर चुके हैं। अब सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के हाथ में देश की बागडोर है। देश यहां से ऐसा भागेगा कि किसी के रोके रुक न सकेगा। शुरू में तो ऐसा ही लगा कि यह देश अब रुकने वाला नहीं है। लेकिन, फिर एक ऐसा दौर आया कि ऊपर वर्णित ये ही सब लोग कहने लगे कि देश में ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ हो गया है। देश ‘चल’ नहीं रहा है, बल्कि एक जगह पर जमकर ‘खड़ा’ हो गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं। हमारे समाज में मरने के बाद व्यक्ति की सभी बुराइयों को माफ कर देने का चलन है। केवल अच्छाइयों की ही चर्चा करनी होती है। घर का कोई बच्चा गलती से कोई बुराई कर भी जाए तो उसे घर के बड़े ‘समझा’ देते हैं कि सिर्फ अच्छाइयों को याद रखो। बाकी का सब मिटा दो। अब बड़ों का यही कहना है तो यह सही ही होगा। ‘सही’ और ‘गलत’ के लफड़ों में क्यों पड़ना। जो जिस जगह होता है, वहां की परिस्थितियों के अनुकूल काम करता है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं। लेकिन, जब पीछे मुड़कर उनकी स्थिति-परिस्थितियों पर नजर डालते हैं तो लगता है कि उनके लिए वाकई बहुत मुश्किल रहा होगा। अपने दल के अंदर, साथ के ही महत्वाकांक्षी कांग्रेसियों के साथ और दल के बाहर विपक्षियों के आक्रामक तंजों से मुकाबला आसान तो नहीं ही होता होगा। लेकिन, इसके बावजूद वह पूरे दो बार पीएम बने। जाहिर है कि अपनी प्रतिभा से अपने प्रतिद्वंद्वियों को परास्त तो करते ही रहे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं। लेकिन, लगता है कि देश को उनसे इससे ज्यादा की उम्मीदें थीं। आज उनके बाद, उनके ‘गुणों’ और ‘दुर्गुणों’ को लेकर जो भी उनकी आलोचना या प्रशंसा कर रहे हैं, वे अपने-अपने स्वार्थों के साथ हमें फिर से एक बार उसी तरह भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, जैसे उन्हें लेकर बचपन में हमें हमारे आस-पास के लोग किया करते थे।
अंतत: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब नहीं हैं तो हम 'भारत के लोगों' को यह ध्यान में रखना चाहिए कि देश के एक बड़े संवैधानिक पद पर मौजूद हर व्यक्ति पर कई बड़े अलग-अलग तरह के दबाव होते ही हैं। उन्हीं दबावों के बीच बेहतर प्रदर्शन करने का एक और ‘दबाव’ होता है तो मन यह मान रहा है कि मनमोहन सिंह ने एक गवर्नर, वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में बेहतरीन पारी खेली। कभी खुद उन्होंने ही कहा था कि इतिहास बताएगा है कि उन्हें कैसे याद रखा जाना है।

(दैनिक जागरण, अमर उजाला, नवभारतटाइम्स.कॉम और एनडीटीवीखबर.कॉम के रास्ते पत्रकारिता में पिछले दो दशक से ज्यादा समय से सक्रिय धर्मेंद्र कुमार मीडियाभारती वेब सॉल्युशन्स के प्रमुख हैं।)